Silicate rock in hindi….चट्टान बैटरी में बदल गईं और अब नए इलेक्ट्रोलाइट ev उद्योग को बदल सकता है।

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शोधकर्ता ने रॉक सिलिकेट पर आधारित एक नई सामग्री की खोज की है, जो भविष्य में इलेक्ट्रिक कार बैटरी में लिथियम की जगह लें सकती है।शोधकर्ता के अनुसार ये रॉक सिलिकेट उन सामान्य पत्थरो में पाए जा सकते हैं जिन्हे आप समुद्र तट पर या अपने बगीचे से उठाते हैं। ये सामाग्री नई प्रकार के ऊर्जा भंडारण उपकरणों जो विकसित करने में मदद कर सकती है जो अधिक किफायती और नमी के प्रति गैर संवेदनशील हो सकते हैं।

डेनमर्क के तकनीकी विश्विद्यालय मे एक शोधकर्ता मोहम्मद खोश कलाम ने पाया कि रॉक सिलिकेट पर आधारित सामग्री ठोस अवस्था के लिए उपयुक्त हो सकती है।
पोटैशियम और सोडियम सिलीकेट के घटक रॉक सिलिकेट पृथ्वी पर सबसे प्रचुर खनिजों में से है।
यह सामग्री गरम तापमान पर आयन का संचालन कर सकती है और नमी के प्रति गैर संवेदन शील है।

ठोस अवस्था में पोटेशियम सिलिकेट की क्षमता…


मोहम्मद खोश कलाम ने कहा “ एक ठोस अवस्था इलेक्ट्रोलाइट के रूप में पोटेशियम सिलिकेट की क्षमता लंबे समय से ज्ञात है, लेकीन मेरी राय में पोटेशियम आयनो के वजन और आकार के साथ चुनौतियों के कारण इसे नज़र अंदाज कर दिया गया। आयन बड़े है और इसीलिए धीमी गति से चलते हैं।

शोधकर्ता के अनुसार ये रॉक सिलिकेट उन समान्य पत्थरो में पाए जा सकते हैं जिन्हे आप समुद्र तट पर या अपने बगीचे से उठाते हैं। इन नई सामग्री का महत्पूर्ण लाभ हवा और नमी के प्रति इसकी असंवेदनशीलता है इससे इसे बैटरी के भीतर कागज़ जैसी पतली परत में ढाला जा सकता है।

सिलिकेट्स से निकालने योग्य यह सस्ती यह सस्ती पर्यावरण अनुकूल सामग्री विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाने की क्षमता रखती है। लेकीन लिथियम आधारित तरल इलेक्ट्रोलाइट या ठोस अवस्था इलेक्ट्रोलाइट में आयन रॉक सिलिकेट्स में आयनों की तुलना में तेजी से चलते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि रॉक सिलिकेट बड़े और भारी होते हैं।

आयन रॉक सिलिकेट में तेजी से कैसे चल सकते हैं..

हालाकि खोश कलाम ने लिथियम आधारित इलेक्ट्रोलाइट की तुलना में रॉक सिलिकेट में आयन को तेजी से स्थानांतरित करने में सक्षम बनाने का एक तरीका निकाला।
बैटरी घटक के साथ पहले माप से पता चला कि समाग्री में ठोस अवस्था में बहुत अच्छी चलकता है। मै यह नही बता की मैंने सामग्री कैसे विकसित की, क्युकी इसको विधि अब पेटेंट करा ली गईं हैं, खोशकलाम ने कहा।

पोटेशियम सिलिकेट का उपयोग करके ठोस अवस्था इलेक्ट्रोलाइट विकसित किया गया है शोधकर्ता ने एक सॉलिड स्टेट इलेक्ट्रोलाइट बनाया, जो बैटरी सेल के anode और कैथोड के बीच स्थित एक कागज की तरह पतला पदार्थ है। यह पोटेशियम सिलिकेट पर आधारित पाउडर बनाकर और इसे बाइंडर और विलायक के साथ मिलाकर हासिल किया गया था।
इसे बाद तरल घोल को एक रोलर में डाला जाता हैं जो सामग्री को एक पतली परत में फ़ैला देता हैं।

सामग्री को पतली सफेद टेप के रूप में ढाला जाता है और एक टेप क्लस्टर में सुखाया जाता है। जिसमे एक समय में 10 मीटर तक टेप सामग्री उत्पादन करने की क्षमता होती है। फिर सॉलिड स्टेट इलेक्ट्रोलाइट को एक ग्लोब बॉक्स में लें जाया जाता है जहा इसे anode और कैथोड के साथ एक सॉलिड स्टेट बैटरी शेल में इकट्ठा किया जाता है।

लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी क्युकी पोटेशियम और सोडियम सिलिकेट पर आधारित सॉलिड स्टेट बैटरी में प्रौद्योगिक तत्परता पर स्तर कम हैं। शोधकर्ता का अनुमान है की इन बैटरी को इलेक्ट्रिक कारों में एकीकृत करने में कम से कम 10 साल लग सकते हैं।

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